बिहार उत्सव बिहारक एतिहासिक आर गौरवमयी विरासत सं परिचित हेबाक मोन हुअए,तं प्रगति मैदान आउ। एहि ठामक हॉल संख्या १५ में आयोजित बिहार उत्सव मे खूब भीड़ जुटि रहल अछि।
मंडप में प्रवेश करिते पीपरक गाछ तर महात्मा बुद्धक, सुजाता के हाथ सं खीर ग्रहण कए ज्ञान दैत तस्वीर छन्हि। भीतर घुसब तं बिहार के इतिहासक विशेष जानकारी भेटत। मंडप मे कतेको बरखक जानकारी चित्रक माध्यम सं देल गेल अछि। स्वतंत्रता आंदोलन में बिहारक भूमिका देखब। १९१७ के चंपारण सत्याग्रह के चित्र सेहो। अंग्रेज नील केर खेती में जखन मोसकिल पैदा कएलक तं राजकुमार शुक्ल गांधीजी कें एहि ठाम बजओने छलाह। ८० बरखक आयु में बाबू वीर कुंवर सिंह अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठओने छलाह। बाबू कुंवर सिहं कें बांहि पर जखन अंग्रेजक गोली लगलनि तं कुंवर सिंह जी अपनहि तलवार सं अपन हाथ काटिकए गंगा में बहा देने छलाह। १८३१-३२ के कोल विद्रोह आर १८५५-५६ के संथाल विद्रोह कें वर्णन करैत चित्र सेहो भेटत। सिखक दसम गुरु गोविंद सिहं जी के १६६६ में पटना साहिब में जन्म कें वर्णन देल गेल अछि। आ मध्यकालीन भारत छोड़ों आंदोलन कें मार्मिक दश्य तं अछिए।
उत्सव में पछिला चारि बरख मे बिहार मे भेल विकास कें देखाओल गेल अछि। (नई दुनिया,30.3.2010 मे हीरेन्द्र एस. राठौड़ जी केर रिपोर्ट पर आधारित)
मंडप में प्रवेश करिते पीपरक गाछ तर महात्मा बुद्धक, सुजाता के हाथ सं खीर ग्रहण कए ज्ञान दैत तस्वीर छन्हि। भीतर घुसब तं बिहार के इतिहासक विशेष जानकारी भेटत। मंडप मे कतेको बरखक जानकारी चित्रक माध्यम सं देल गेल अछि। स्वतंत्रता आंदोलन में बिहारक भूमिका देखब। १९१७ के चंपारण सत्याग्रह के चित्र सेहो। अंग्रेज नील केर खेती में जखन मोसकिल पैदा कएलक तं राजकुमार शुक्ल गांधीजी कें एहि ठाम बजओने छलाह। ८० बरखक आयु में बाबू वीर कुंवर सिंह अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठओने छलाह। बाबू कुंवर सिहं कें बांहि पर जखन अंग्रेजक गोली लगलनि तं कुंवर सिंह जी अपनहि तलवार सं अपन हाथ काटिकए गंगा में बहा देने छलाह। १८३१-३२ के कोल विद्रोह आर १८५५-५६ के संथाल विद्रोह कें वर्णन करैत चित्र सेहो भेटत। सिखक दसम गुरु गोविंद सिहं जी के १६६६ में पटना साहिब में जन्म कें वर्णन देल गेल अछि। आ मध्यकालीन भारत छोड़ों आंदोलन कें मार्मिक दश्य तं अछिए।
उत्सव में पछिला चारि बरख मे बिहार मे भेल विकास कें देखाओल गेल अछि।