मिथिला दर्शनक नव अंक बजार मे उपलब्ध अछि। एहि अंकक सामग्री पर एक दृष्टिः
1.मानवमुखी विज्ञान(संपादकीय)
2.आखर लेख(एकल नागरिकताक परिप्रेक्ष्य मे भूमिपुत्रवाद पर कार्यकारी संपादकक टिप्पणी)
3. हमरो चाही अप्पन राज्य(मिथिला राज्यक मांग पर जीवकांत,धनाकर ठाकुर,आशीष झा आ विभूति आनंदजी केर टिप्पणी)
4. वैश्विक मंदी,मूल्य वृद्धि आ हम सब-नरेंद्र झा
5. ब्रह्मांड-विमर्श(महाप्रयोगक संदर्भ मे): योगेंद्र पाठक वियोगी
6. जीन परिवर्द्धित भांटा कतेक उपयोगी-विद्यानाथ झा
7. नेपालक डायरी-रामभरोस कापड़ि भ्रमर
8. एकटा बड्ड पुरान गप्प-लिली रे केर उपन्यासक अगिला अंश
9. हमर धरोहर(डॉ. लक्ष्मण झाक 1956 केर व्याख्यान)
10. पैंतालीस मिनट(कथा)-नीता झा
11. जुट्टीवाली देवी(कथा)-ऋषि वशिष्ठ
12. खसैत देवाल(कथा)-कुमार मनोज कश्यप
13. निबंध-कथाःमिथिलेश कुमार झा
14. विवेकानंद ठाकुर, कुमार मनीष अरविन्द,रामपुनीत ठाकुर तरुण, उदय नाथ झा अशोक आ डॉ. ब्रज किशोर वर्मा केर कविता
15. भाषा-टीकाक बहन्ने(विभूति आनंदक पोथी केर समीक्षा)- परमानन्द प्रभाकर
16. बाल-अपराधःकारण आ निराकरण-पन्ना झा
17. रूप-चर्चा
18. भनसा-भातः वीणा झा
19. आधुनिक जीवनक उपसर्गःरीढक दर्द-डॉ. अरविन्द कुमार चौधरी
20. ठंढ आ सर्दी-डॉ. उमाशंकर चौधरी
21. गोनू झा बनाम बंगटा
22. वर्ग पहेली-3
23. नेपाल मे आधुनिक मैथिली नाटकःमोजर देबाक प्रतीक्षा मे-रामभरोस कापड़ि भ्रमर
24. प्रबोध साहित्य सम्मान आ मिथिला सं जुड़ल आन गतिविधि सभ पर संक्षिप्त रिपोर्ट
पत्रिका प्राप्ति सम्पर्कः09709716464 आ 09811406106