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Thursday, October 21, 2010

दरभंगा राजघरानाःकेओ नहि पूछनिहार

लोकतंत्र के महापर्व मे सभ केओ अपन महत्व बतबए चाहैत छैक मुदा सत्ता हथिअएबाक एहि गहमागमी के बीच,कहियो मिथिला के हैसियत केर प्रतीक रहल रामनगर किला आई निस्तब्ध अछि। कालक्रमक संगहि,मिथिला दरबारक राजनीतिक किलेबंदी ततेक कमजोर भ गेलैक जे आब केओ एहिठाम भोंट मंगए लेल नहि अबैछ।

एक समय एहनो रहैक जे तमाम पैघ राजनीतिक दलक नेतालोकनि महाराजा कामेश्वर सिंह केर देहरी पर टिकट स्वीकार करबाक लेल नेहोरा करैत छलाह। परञ्च,कामेश्वर बाबू एहि सभ प्रस्ताव कें ठोकरबैत स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर भाग्य अजमओलनि। नतीज़ा-ज़बरदस्त हार। प्रतिपक्षी कांग्रेसी उम्मीदवार श्यामनंदन मिश्र कें ओ हल्लुक बुझने छलाह जे अंततः घातक सिद्ध भेलनि। ओहि चुनाव केर प्रत्यक्षदर्शी रहल लोहट प्रखंडक पचाढ़ी गामक बाबू लाल झा कहैत छथि जे ओहि चुनाव के दौरान महाराज के प्रचार मे पएर छूनिहार लोकनिक तांता लागल रहैत छल मुदा ओ भीड़ भोंट में तब्दील नहि भ सकल।


दरभंगा राजक इतिहास लिखनिहार मिथिला विश्वविद्यालय केर पूर्व-कुलपति डॉ.जनार्दन कुंवर कहैत छथि जे राज परिवार के प्रिंसली स्टेटक दर्जा नहि भेटलाक बादो,एहि घराना केर महत्व आजादी सं पूर्व देशक कोनहु राजघराना सं कम नहि छल। एहि वंशक अंतिम तीन शासक लक्ष्मेश्वर सिंह, रामेश्वर सिंह आर कामेश्वर सिंह राजनीति में दिलचस्पी लेब शुरू कएने छलाह जाहि सं देश भरि मे हिनकर प्रभाव विस्तार भेलनि। एतेक धरि जे प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत दौरा के समय, राजा नहि रहि गेलाक बादो, सभ तरहक प्रोटोकॉल कें दरकिनार करैत हुनका राजा सभहक बैठक मे आमंत्रित कएल गेल छल।

फेर,प्रश्न छैक जे एहि राजवंशक मोहरा सभ बाद मे किएक हारैत गेल?मिथिला विश्वविद्यालय मे राजनीति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक जिंतेंद्र नारायण कें कहब छन्हि जे दरभंगा दरबार केर राजनीतिक पराभव कोनो आश्चर्यजक गप्प नहि। 1957 के लोकसभा चुनाव मे अधिकांश मैथिलो ब्राह्मणो कामेश्वर सिंह कें ई कहैत वोट नहि देलनि जे ओ तिरहुतिया(मैथिल) नहि,सोइत(श्रोत्रिय) छथि।

बात मैथिली कें संविधानक आठम अनुसूची मे शामिल करएबाक हुअए आकि अलग मिथिला राज्य बनएबाक आंदोलन, रामबाग किला केर कोनहु कोना सं कोनहु सुगबुगाहट नहि सुनबा मे आएल। चारू दिशि बजैत चुनावी नगाड़ा के बीच दरभंगा दरबार केर मर्सिया ओहि राजनेतालोकनिक लेल सेहो एकटा सबक छन्हि जे जनादेश कें अपन हुकूमत केर अधिकार बूझि निश्चिन्त रहैत छथि।

जे-से। बिहारक सामाजिक संरचना केर धुरी रहल रजवाड़ा सभहक प्रासंगिकता आजादी के बाद चाहे समाप्त भ गेल हुअए,मुदा,अपन अपन रुतबा बरकरार रखबाक लेल सभ तरहक जोगाड़ ओ सभ भिड़बिते रहल छथि। एहि मे सं कतेको तं स्वयं राजनीति में कूदि,अपन पूर्वज सभहक साख भुनएबाक प्रयास कएलनि। किछु आन गोटे नेपथ्य मे रहि एकर इसके सूत्र-संचालन मे सक्रिय रहलाह(मुकेश बालयोगी,दैनिक भास्कर,21.10.2010)।

Monday, October 11, 2010

"कौन बनेगा करोड़पति" राति 9 बजे सं

अमिताभ बच्चन आई अपन 69म जन्मदिन मना रहल छथि आ आइए सं ओ सोनी टीवी पर ’कौन बनेगा करोड़पति‘ के चारिम सीजन शुरु क रहल अछि। एकर दू सीजन ओ सफलतापूर्वक संचालित क चुकल छथि,आ से कतेक लोकप्रिय रहल छल,से पाठकलोकनि बिसरल नहि हेताह। कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी-4) मे एहि बेर ईनामी रकम पांच करोड़ रुपय्या राखल गेल अछि जे एखन धरि एक करोड़ रूपय्या छल। शो में भाग लेनिहार एहि बेर बारहे टा सवालक जवाब द कए एक करोड़ रूपय्या जीत सकताह। तकर बाद,जं ओ 13म सवाल सही जवाब द पओताह,तखने पांच करोड़ रुपय्या सुतरतनि। इहो ध्यान रहए जे एहि बेर चारिटा लाइफलाइन रहतैक जाहि मे दू टा पुरनका आ दू टा नव प्रकारक हएतैक। एक नव लाइफलाइन आस्क दि एक्सपर्ट कहल जा रहल छैक। एहि मे हर क्षेत्र कें एक विशेषज्ञ स्टूडियो में मौजूद रहत,जे उत्तर देबा मे मदद करत।

शो कें प्रसारण सोनी टीवी पर राति नौ बजे सं हएत। एहि सं पूर्व धरि,एकर प्रसारण स्टार टीवी पर होइत रहल छल। अमिताभ पछिला किछु समय सं,तेल,सीमेंट,कम ज्ञात ब्रांडक मोबाईल आदि सन-सन छोट-मोट विज्ञापन क रहल छलाह। प्रायः सभटा महत्वपूर्ण आ अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडक विज्ञापन शाहरूख अथवा आन कलाकार सभहक लग चलि गेल छल। एकरा देखैत,केबीसी एकटा पैघ छलांग मानल जा रहल छैक।

उच्चैठ दुर्गा

'मिथिलायां महादेवी वाम स्कंधे महोदर:' (तंत्र चुड़ामणि) सती पार्वती केर वाम स्कंध मिथिला में गिरल छल। तें, संपूर्ण मिथिला कें शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त छैक। तहू मे, उच्चैठ केर दुर्गा महाशक्ति पीठ अग्रगण्य अछि। उच्चैठ दुर्गा केर प्रसिद्धि प्राचीनकाल सं बनल अछि। विश्वकवि कालिदास कें एहि शक्तिपीठ सं संबंध रहल छन्हि। प्रमाणस्वरूप, कालिदास डीह एहि सं सटले नदी के दोसर छोर पर अवस्थित देखल जा सकैछ। जनश्रुति छैक जे दुर्गा मूर्ति कें कालिदास द्वारा पूजित भेलाक कारणें,एकरा कालिदास कालीन मानल जाइत छैक। एकर महिमा अपरंपार छैक। उच्चैठ चतुर्भुजा दुर्गा केर प्रसिद्धि बिहारे टा मे नहि, नेपालो मे छन्हि। शारदीय नवरात्र में श्रद्धालुलोकनिक बड़ भीड़ एहि ठाम होइत छैक। अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा सं एहि ठाम भगवती के दर्शन-पूजन लेल भीड़ जुटनाई शुरु भ जाइत छैक। संपूर्ण परिसर देवी गीत सं गुंजायमान रहैत छैक। आइयो धरि तांत्रिक साधक लोकनि निकट के एकांत स्थान मे, अपन साधना में रत देखल जा सकैत छथि। शारदीय नवरात्र में दुर्गा कें भव्य श्रृंगार करबाक परंपरा छैक। भक्तगणक फूल सं दिन के 3-4 बजे भगवतीपरक गीत गायन के बीच पंडालोकनि श्रृंगार करैत छथि। मानल जाइत छैक जे श्रृंगार के बाद भगवती कें दर्शन अत्यंत शुभ फलदायी होइत छैक। एहि समय भगवती केर प्रसन्न मुद्रा भावक दर्शन होइत छैक। तें,शारदीय नवरात्र में भगवती कें सांध्य श्रृंगार देखबाक लेल लोकसभ कें बेश प्रयास करए पड़ैत छन्हि। शारदीय नवरात्र में दर्शन-पूजन सं माता मनोवांछित फल दैत छथिन्ह,एहन मान्यता छैक। ओना तं एहिठाम प्रतिदिन छागर चढाओल जाइत छैक मुदा शारदीय नवरात्र कें सप्तमी तिथि कए, निशा पूजा के पश्चात महानवमी तक प्रतिदिन सैकड़ा के तादाद में छागर कें बलि देल जाइत छैक। पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक व पर्यटन कें दृष्टि सं महत्वपूर्ण उच्चैठ भगवती स्थान के सौंदर्यीकरण केर कार्ययोजना बनलाक तीन वर्ष बीतलाक बादो कार्यरूप नहि ल सकल अछि। पहिल चरण मे, मंदिर परिसर स्थित पवित्र सरोवर केर जल स्वच्छ कएल जएबाक छल आर आकर्षक घाट निर्माणक योजना रहैक। खासकए मंदिर परिसर में नशाखोरी कें शिकायत कें गंभीरता सं लेबाक बात तय भेल छल। परञ्च,सौंदर्यीकरण व नवनिर्माण के लिए एक करोड़ रुपया आवंटित भेलाक बादो, 22 एकड़ के विशाल भूखंड मे पसरल एहि सिद्धपीठ परिसर में अतिक्रमण, गंदगी आ बदइंतजामी सर्वत्र देखल जा सकैछ(दैनिक जागरण)।