अपनेक स्वागत अछि।

Friday, March 05, 2010

तेल्हाड़ा मे भेटि रहल अछि पालकालीन अवशेष

नालंदा जिला स्थित तेल्हाड़ा केर पहचान आब ऐतिहासिक पर्यटन स्थल कें रूप में होमय लागल अछि। जिला मुख्यालय बिहारशरीफ सं सटल एहि ऐतिहासिक स्थल केर पहचान सभसं पहिने 1872 में जिलाधिकारी एएम ब्रॉडली कएलनि। 1875 में, अलेक्जेंडर कनिंघम एहिठाम उत्खनन करओलनि। आजादी के बादो कतेको बरख धरि उपेक्षित रहलाक पछाति आब फेर एहि ठामक प्राचीन टीला सभहक खुदाई शुरू भेल अछि। एहि क्रम मे एतय प्रथम शताब्दी सं ल कए पाल काल धरिक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त भ रहल अछि। मानव जाइछ जे कहियो एतय एक विश्वप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान छल जाहि ठाम देश-विदेशक बौद्ध धर्मावलंबी रहिकए अध्ययन करैत छलाह। ई संस्थान विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविघालय केर एक शाखा छला आ एतय किछु विशेष विषय मे विशेषज्ञता हासिल कएल जाइत छल। एहि संस्थानक चर्चा प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग सेहो अपन किताब में तिलास अकियाके रूप मे कएने छलाह। ओ लिखलनि जे एतय महायान शाखा कें एक हजार भिक्षु रहिकए अध्ययन करैत छलाह। सम्प्रति, खुदाई के दौरान एहिठाम चरिटा प्रतिमा भेटल अछि। एहिमे धर्म-चक्र प्रवर्तन मुद्रा में ढाई फीट ऊंच भगवान बुद्धक मूर्ति हारिति आ मंजूश्री केर मूर्ति शामिल अछि। मंजूश्री मूर्ति कें हाथ में पोथी छैक जे पाल कालक दसम शताब्दी कें छैक। तेल्हाड़ा में पाल कालक संघाराम, बौद्ध विहार, मुख्य प्रवेश द्वार सेहो भेटल अछि । बौद्ध भिक्षुलोकनि एहिठाम छोट-छोट कक्ष मे रहिकए पढ़ाई करैत छलाह जकर प्रमाण भेटल अछि। बौद्ध देवी कें रूप मे एक मूर्ति भेटल अछि जे चाइल्ड प्रोटेक्शन केर मुद्रा में छथि। उत्खनन सं जानकारी भेटल अछि जे एहिठामक धर्म संघाराम छल जाहिमे चारिटा पैघ-पैघ सभा मंजिल आ प्रार्थना सभागार रहए। एकर खुदाई में राख केर दस सेंटीमीटर मोट परत सेहो भेटल अछि। तीन मंजिला इमारत कें उपरी मंजिल के गिरबाक आ भवन में आगि लगएबाक पुष्टि सेहो भेल अछि। एकर अतिरिक्त एक सुखल चूनक दू टा तल(छत) एकहि लेवल में 34 मीटर तक भेटल अछि जाहि सं बुझाइछ जे ई छत प्रार्थना सभागार केर ऊपरी सतह रहल हएत। माटिक दस फीट भीतर, भगवान बुद्धक काली प्रतिमा सेहो भेटल अछि जे पालकालीन अछि। इस उत्खनन कार्य में पंकज कुमार, प्रिया कुमारी, अर्चना कुमारी, पूजा कुमारी, ज्योति कुमारी, अनिल कुमार, चंद्र प्रकाश आदि लागल छथि। उत्खनन सं प्राप्त मूर्ति सभहक फोटाग्राफी क रहल छथि संजीव रंजन।
(आजुक राष्ट्रीय सहारा,पटना संस्करण मे प्रकाशित कौशलेंद्र ठाकुरक रिपोर्ट पर आधारित)