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Thursday, March 18, 2010

भोजपुरी

भाषा कें जं संस्कृति केर एना मानल जाए तं निश्चित रूप सं भोजपुरी बिहारक एक पैघ भूभागक पहिचान अछि। ई बिहार आ उत्तरप्रदेश के भोजपुरी बेल्ट सं निकलि सुदूर मारीशस, ट्रिनीडाड आ टौबैगो आदि देशक संस्कृति में पैसल अछि। बिहार के साथ ई भाषा सेहो  अपन विकासक मंजिल तय क रहल अछि। मान्यता छैक जे राजा भोज के वंशजलोकनि बिहार कें मल्ल जनपद में अपन राज्य स्थापित कएने छलाह जकर राजधानी भोजपुर छल। भोजपुरी मूलत: ओही क्षेत्रक भाषा अछि। एकर अंतर्गत पूर्वी उत्तरप्रदेश आ बिहारक शाहाबाद, छपरा, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर (किछु भाग) आ रांची (किछु भाग) मानल जाइछ। हिन्दी सं जुड़ल आंचलिक भाषा में ई सभसं पैघ भाषा अछि,जकर बजनिहारक संख्या करीब चारि करोड़ छैक। सतरहम सदी में धरती दास आ दरिया दास एकर विकास कएलनि। भोजपुरी कवि में कबीरदास, चरणदास, धरमदास, धरणीधर दास, शिवनारायण आ लक्ष्मी सखी आदि उल्लेखनीय छथि। आधुनिक युग मे, बाबू रघुवीर नाथ, महेन्द्र मिश्रा आ भिखारी ठाकुर एकरा नव पहिचान देलनि।  मनोरंजन जी फिरंगिया आर बाबू रघुवीर नारायण  बटोहिया लिखिकए एहि भाषा कें लोकप्रियता प्रदान कएलनि। रासबिहारी खाकी भोजपुरी में सैकड़ों पद लिखने छलाह। रामाधार प्रसाद अंशुमाली मुक्तक सतसईलोक लहरी, डा. रघुनाथ शरण खंड काव्य , मैनावती देवी  गीत संग्रह गांव के गीत, मणिराज मधुकर प्रबंध काव्य सच्चाई के पहरुआ आ भोलानाथ भावुक  कविता संग्रह अंजुरी भर अंजोरिया लिखिकए भोजपुरी कें सम़ृद्ध कएलनि। भोलानाथ भावुक  कालिदास कें मेघदूत केर भोजपुरी अनुवाद प्रस्तुत कएने छलाह। रामेश्वर सिंह कश्यप, पंडित कपिलदेव नारायण, प्रो. उमाकांत वर्मा, गणेश दत्त तिवारी, डा. रंजीत पाठक, श्री जगन्नाथ, धीरेंद्र कुमार सिन्हा, अक्षयवर दीक्षित, भगवान सिंह भास्कर, सुभाष चंद्र यादव आर मधुकर सिंह आदि के योगदान सेहो अविस्मरणीय अछि। हिनके सभहक योगदानक बूतें आंचलिक बोली रहल भोजपुरी आब एक भाषा कें रूप में मान्यता प्राप्त क चुकल अछि। राज्य सरकार सेहो एकर विकास में योगदान देलक। भिखारी ठाकुर केर स्मृति में उत्कृष्ट भोजपुरी लेखन लेल बिहार सरकारक राजभाषा विभाग पुरस्कार दैत अछि। राज्य सरकार  भोजपुरी अकादमी सेहो स्थापित कएने अछि। भाषा कें विकासक संग भोजपुरी फिल्मक निर्माण सेहो बढ़ल छैक। भोजपुरी फिल्म गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो  कोनहु आंचलिक भाषा केर पहिल फिल्म छल। एहि फिल्मक गीतकार शैलेन्द्र आ संगीतकार बिहारक चित्रगुप्त  छलाह। दुनिया भरि मे भोजपुरिए एहन आंचलिक भाषा अछि जाहिमे एतेक सिनेमा बनल छैक। बिदेसिया, धरती मइया, गंगा किनारे मोरा गांव, पिया रखिह सेनुरवा के लाज, हमार दुल्हा आ  दलाल आदि किछु फिल्मक उदाहरण मात्र अछि। भोजपुरी फिल्म सभ मराठी भाषा-भाषी मुंबई तक में सराहल जाइत अछि। एकर प्रमाण ई छैक जे ओहि ठामक मिनर्वा सिनेमाघर मे  गंगा किनारे मोरा गांव  एक महीना तक हाउसफुल गेल। अमिताभ बच्चन भोजपुरी सं प्रभावित भ कए पान खाए सईयां हमार में अभिनय कए, एहिसं जुड़बाक लेल पैघ स्टारक सभहक झिझक कें तोड़ि देलनि। भोजपुरी फिल्म में हेमामालिनी, जैकी श्राफ, रजा मुराद, प्रकाश झा आदि सेहो  अपन योगदान देने छथि। भोजपुरी के बढ़ैत प्रभावक कारणें आब एहि तरफ मारिते वालीवुड हस्ती सभ एम्हर रूख क रहल छथि। भोजपुरी दिस मीडिया केर झुकाव सेहो भेल छैक। कतेको भोजपुरी समाचार आ मनोरंजन चैनल दर्शक कें अपना दिस खींचि रहल छथि।
(अमित आलोक,दैनिक जागरण,मुजफ्फरपुर संस्करण,18.3.2010)