ब्लॉगर सभहक बीच मारामारी चलिते रहैत छैक। कखनो पोस्टक संख्या ल कए तं कखनो कमेंटक संख्या ल कए। परन्तु,लंदन के एक सर्वेक्षण मे कहल गेल छैक जे ऑनलाइन मित्रक संख्या पोस्टक मात्रा सं बढैत छैक,गुणवत्ता सं नहि। जे जतेक पोस्ट करैत छथि,तनिक मित्रक संख्या ओहि अनुपात मे रहैत छैक। ई अध्ययन कएल गेल छैक शेफील्ड यूनिवर्सिटी के सुजान जैमिसन पॉवेल केर टीम द्वारा। ई टीम टॉप 75 ब्लॉगर के लोकप्रियता के विश्लेषण कएलक। शोधकर्तालोकनि प्रत्येक ब्लॉगर के मित्र संख्या,पोस्टक संख्या,लिखल गेल कुल शब्दक संख्या आ पोस्ट सभहक औसत दृष्टिकोण पर गौर कएलाक बाद ब्लॉगर सभ सं पुछलनि जे आन शीर्षस्थ ब्लॉग सभ हुनका कतेक आकर्षक बूझि पड़ैत छन्हि। अनुसंधानकर्तालोकनि एहि निष्कर्ष पर पहुंचलाह जे जतेक संख्या मे पोस्ट कएल गेल,ओही अनुपात मे हुनकर मित्र(समर्थक)लोकनिक संख्या बढैत गेल। एतबे नहि,एही सं हुनकर रेटिंग सेहो बढलनि।
एहि बात सं कोनो फर्क नहि पड़लैक जे ब्लॉगरलोकनिक पोस्ट पर आएल कमेंट सकारात्मक छैक अथवा नकारात्मक। ओम्हर,एक अन्य सर्वेक्षण मे,ई निष्कर्ष निकलल अछि जे फेसबुक आब ओतबे लोकप्रिय भ गेल अछि जतेक कि टेलीविजन अछि। नील्सन केर सर्वेक्षण के निष्कर्ष छैक जे 73 प्रतिशत अमरीकन ऑनलाइन रहला पर,सप्ताह मे कम सं कम एक बेर, सोशल नेटवर्किंग साइट पर ज़रूर जाइत छथि। संगहि,अमरीका के लगभग 47 प्रतिशत लोक प्रतिदिन फेसबुक पर जाइत छथि। ज्ञातव्य जे एहन इंटरनेट प्रयोक्ता,जे टेलीविजन रोज देखैत छथि, केर संख्या सेहो 55 प्रतिशत छथि। अर्थात् फेसबुक आ टेलीविजन प्रयोक्त केर संख्या मे बेसी फर्क नहि रहि गेल छैक।
पछिला किछु समय सं एहि बात ल कए बड्ड चर्चा भ रहल छैक जे हिंदी ब्लॉगिंग केम्हर जा रहल अछि आ अंग्रेजी के मोकाबिला मे ई कतए ठहरैत अछि। गुटबाजी आ गंभीर पोस्टक उपेक्षा स्पष्ट परिलक्षित होइछ। सड़ियल पोस्ट के पठनीयता बढल जा रहल छैक-ठीक ओहिना जेना कवि सम्मेलन सभ मे सड़कछाप शेर पर ठिठिअओनिहारक संख्या बड्ड रहैत छैक। किछु गोटे गूगल द्वारा विज्ञापनक लेल हिंदी ब्लॉगिंग के उपेक्षा सं चिंतित छथि। मुदा हिंदी ब्लॉगिंग के स्तर देखैत गूगल कें दृष्टिकोण अनुचित नहि कहल जा सकैत छैक। सनसनी पेश करबा सं हिंदी ब्लॉगिंग के दूर होमय पड़तैक। कतेको ब्लॉगर जे टाप 20 अथवा 30-40 मे गनल जाइत छथि,अपन कोनो पोस्ट नहि द कए खाली अन्यत्रक लिंक द रहल छथि। किछु लोकक पोस्टक साइज आ शीर्षकक साइज एकहि समान रहैत छन्हि। किछु गोटे मारिते ब्लॉग बनओने छथि मुदा सभ पर एकहि टा पोस्ट रहैत छन्हि। एहि सभ प्रयासक खिलाफत करबाक समय आबि गेल छैक।
एहि बात सं कोनो फर्क नहि पड़लैक जे ब्लॉगरलोकनिक पोस्ट पर आएल कमेंट सकारात्मक छैक अथवा नकारात्मक। ओम्हर,एक अन्य सर्वेक्षण मे,ई निष्कर्ष निकलल अछि जे फेसबुक आब ओतबे लोकप्रिय भ गेल अछि जतेक कि टेलीविजन अछि। नील्सन केर सर्वेक्षण के निष्कर्ष छैक जे 73 प्रतिशत अमरीकन ऑनलाइन रहला पर,सप्ताह मे कम सं कम एक बेर, सोशल नेटवर्किंग साइट पर ज़रूर जाइत छथि। संगहि,अमरीका के लगभग 47 प्रतिशत लोक प्रतिदिन फेसबुक पर जाइत छथि। ज्ञातव्य जे एहन इंटरनेट प्रयोक्ता,जे टेलीविजन रोज देखैत छथि, केर संख्या सेहो 55 प्रतिशत छथि। अर्थात् फेसबुक आ टेलीविजन प्रयोक्त केर संख्या मे बेसी फर्क नहि रहि गेल छैक।
पछिला किछु समय सं एहि बात ल कए बड्ड चर्चा भ रहल छैक जे हिंदी ब्लॉगिंग केम्हर जा रहल अछि आ अंग्रेजी के मोकाबिला मे ई कतए ठहरैत अछि। गुटबाजी आ गंभीर पोस्टक उपेक्षा स्पष्ट परिलक्षित होइछ। सड़ियल पोस्ट के पठनीयता बढल जा रहल छैक-ठीक ओहिना जेना कवि सम्मेलन सभ मे सड़कछाप शेर पर ठिठिअओनिहारक संख्या बड्ड रहैत छैक। किछु गोटे गूगल द्वारा विज्ञापनक लेल हिंदी ब्लॉगिंग के उपेक्षा सं चिंतित छथि। मुदा हिंदी ब्लॉगिंग के स्तर देखैत गूगल कें दृष्टिकोण अनुचित नहि कहल जा सकैत छैक। सनसनी पेश करबा सं हिंदी ब्लॉगिंग के दूर होमय पड़तैक। कतेको ब्लॉगर जे टाप 20 अथवा 30-40 मे गनल जाइत छथि,अपन कोनो पोस्ट नहि द कए खाली अन्यत्रक लिंक द रहल छथि। किछु लोकक पोस्टक साइज आ शीर्षकक साइज एकहि समान रहैत छन्हि। किछु गोटे मारिते ब्लॉग बनओने छथि मुदा सभ पर एकहि टा पोस्ट रहैत छन्हि। एहि सभ प्रयासक खिलाफत करबाक समय आबि गेल छैक।