केंद्र सरकार स्वीकार कएने अछि जे ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान अछि आ एहि पर प्रतिबंध नहीं लगाओल जा सकैत अछि। केंद्र सरकार ई बात काल्हि बम्बई हाइकोर्ट मे, एक जनहित याचिका के जवाब में कोर्ट में दायर हलफनामा मे कहलक। हलफनामा मे कहल गेलैक जे ज्योतिष समय कें कसौटी पर कसल जा चुकल विज्ञान छैक आ एहि पर प्रतिबंध लगाएब संभव नहि छैक। बंबई हाईकोर्ट एहि संबंध मे एक जनहित याचिका पर सुनवाई क रहल अछि। हलफनामा में कहल गेलैक जे सुप्रीम कोर्ट सेहो कहने अछि जे ज्योतिषशास्त्र मे पाठ्यक्रमक प्रारंभ सं संविधान मे निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर असरि नहि पड़तैक। जनहित याचिका मे ज्योतिष,वास्तुशास्त्र आदि के अभ्यास पर प्रतिबंध लगएबाक मांग कएल गेल छैक। भारत सरकार के उप-औषधि नियंत्रक डॉ. रामकृष्ण कहलनि कि ज्योतिष विज्ञान के इतिहास ४ हजार वर्ष पुरान छैक आ एकरा पूरा तरह सं उनटा बूझब अनुचित हेतैक। याचिका में भविष्यवक्ता सभहक विज्ञापन पर ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के तहत कार्रवाई करबाक मांग कएल गेल छल। एकर जवाब में कहल गेल जे एहि एक्ट में ज्योतिषशास्त्र आर एहि सं संबद्ध विधा नहि अबैत छैक। ई एक्ट केवल ड्रग आर रेमेडीज के भ्रमित कएनिहार विज्ञापन के लेल अछि। ज्ञातव्य जे भारतीय संविधानो मे, एस्ट्रोलॉजी कें शेड्यूल ट्राइव एजुकेशन में राखल गेल छैक अर्थात् एहि लुप्त भ रहल विद्या कें संरक्षण देल जएतैक। तें,जाहि विद्या कें संरक्षण देल जा रहल छैक,तकरा बैन केना कएल जा सकैत अछि। वस्तुतः,ज्योतिष के व्यावसायीकरण आ एहि लाईन में कम ज्ञानी मुदा धंधेबाजलोकनिक प्रवेश कें कारण एहि विद्या के प्रति लोक सभहक अविश्वास निरंतर बढल छैक। ई गप्प आओर छैक जे तइयो ,समस्याग्रस्त भेला पर लोक ज्योतिषी सभहक शरण लैते छैक। पाठक लोकनि जनिते हेताह जे मशहूर ब्लॉगर संगीतापुरी जी गत्यात्मक ज्योतिष विषयक चर्चित ब्लॉग चला रहल छथि।