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Tuesday, January 05, 2010

मैथिली बनत झारखंडक राजभाषा

झारखंड में मैथिली के राजभाषा केर दर्जा भेटबा में आब बेसी देर नहिं बुझबाक चाही। किएक तं,स्वयं मुख्यमंत्री शिबू सोरेन भोजपुरी, मैथिली, संथाली आ बंग्ला के द्वितीय राजभाषा केर दर्जा देबाक वकालत क रहल छथि। अपन पछिलो सरकार में ओ एकर हिमायती रहल छलाह। संथाली समेत मैथिली, भोजपुरी आ बांग्ला समाजक लोक कें सहानुभूति लेबाक संगहि ओ सरकार आ संगठन सभहक बीच सामंजस्य स्थापित करबाक पहल क रहल छथि। राज्यक तेसर विधानसभा के प्रथम सत्रक औपचारिक शुरुआत सोमकए प्रोटेम स्पीकर टेकलाल महतो के आसन ग्रहण करबाक संग भेल। सात विधायक संथाली में, चारि उर्दू में आ दू गोटे बांग्ला में शपथ लेलनि।
ज्ञातव्य जे पछिला 12 अक्तूबर कए,बिहार विधान परिषद् केर सभापति श्री ताराकांत झा झारखंड में मैथिलीक उपेक्षा पर चिन्ता व्यक्त कएने छलाह। हुनकर कहब रहनि जे ‘झारखंड में रहनिहार मैथिली भाषा-भाषी झारखंडी मैथिल छथि। हुनकर सभहक नौकरी में भागीदारी सुनिश्चित करबा लेल आवश्यक छैक जे राज्य सरकार मैथिली भाषा के सेहो स्थानीय भाषा में शामिल करए। ओ देवघर में मैथिली अकादमी केर स्थापनाक मांग सेहो कएने छलाह। हुनकर पत्रकार वार्ता में बिहार विधानसभा के सदस्य विनोद नारायण झा, कोलकाता सं प्रकाशित मैथिली दैनिक समादक संपादक ताराकांत झा आ साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डा.विद्यानाथ मिश्र ‘विदित’ सेहो उपस्थित छलाह।
पुरनका संथालपरगना के देवघर, गोड्डा, दुमका समेत कतेको जिला केर मातृभाषा मैथिली छैक। मैथिली में संथाली भाषा पर साहित्यिक कार्य सेहो भेल छैक। एकर अतिरिक्त, मैथिली के संगहि, संथाली कें संविधान केर अष्टम अनुसूची में शामिल कएल जा चुकल छैक। ।