अझुका दैनिक जागरण में खगड़िया संवाददाता निर्भय केर रिपोर्ट प्रकाशित भेल छैक जाहि में चेताओल गेल छैक जे कोसी केर जैव विविधता के संवर्धन लेल समय रहिते ध्यान नहिं देल गेल,त पारम्परिक फसल केर उपजा मोसकिल भ जाएत। कोसी क्षेत्र सं मड़ुआ, कोइनी, कोदो, चीना आदि फसल विलुप्त भ रहल छैक। हाईब्रीड बीजक कारणें ई हालत भेल छैक। एहि इलाका में 61 तरहक धान होइत छल जे आब दर्जन भरि रहि गेल अछि। गमकौआ करिया कामोद आ पौष्टिक देसरिया धान त बुझू सपना भ गेल छैक। मड़ुआ में कार्बोहाइड्रेट बड्ड होइत छैक। तें, एकरा मजदूर सभहक लेल उपयुक्त भोजन मानल जाइत छल। किएक तं,मड़ुआ में एंटी आक्सीडेंट तत्व रहैत छैक जे ऊर्जादायक होइत छैक । एकर नियमित सेवन सं उम्रगत प्रभाव कम भ जाइत छैक। मानल जाइछ जे मड़ुआ रोटी केर सेवन सं 80 बरखक उम्र धरि स्वस्थ रहल जा सकैछ। एकर रोटी सुपाच्य होइत छैक। मड़ुआ आ एहि वर्गक किछु आन फसलि में लाइसिन नामक अमीनो एसिड होइत छैक जे गहूम आ मकई में नहिं भेटत। अनुमान छैक जे जं सरकार मड़ुआ, कोइनी, खैड़ी के संवर्द्धन लेल प्रयासरत नहिं रहत,तं कोसी इलाका में गहूम-मकई खएनिहारलोकनि कें कैल्शियम के कमी भ सकैत छन्हि। मानल जाइत छैक जे मधुमेह के रोगी जं मड़ुआ के संग जौ-जई आदि के आटा मिलाकए ओकर रोटी खाथि,तं दवाई खएबाक जरूरति नहिं रहि जएतनि।
अझुके दैनिक जागरण सं इहो खबरि बुझना जाइछ जे राज्य में नीली क्रान्ति के सपना साकार करबा लेल माछ सभ के चारा देबाक वास्ते,गैर-सरकारी क्षेत्रक सहयोग सं 50 फिश फूड मिल खोलल जाएत। हर जिला में एक या दू टा कए फिश फूड मिल । राज्य के मत्स्य निदेशक निशात अहमद के कहब छनि जे व्यावसायिक तरीका सं उत्पादन करबा लेल जरूरी छैक जे चारा देल जाए। अधिकांश राज्य में चारा द कए बड़ पैघ स्तर पर माछक उत्पादन कएल जा रहल छैक। फूड मिल कें स्थापना प्रक्रिया शुरू भ गेल अछि। हर फूड मिल कें स्थापित करबा पर लगभग 12 लाख टका लगतैक जाहि में सं तीन लाख टका कें अनुदान सरकार देत आ नौ लाख टका बतौर ऋण देल जाएत। कुल लागत के दस फीसदी मार्जिन मनी फैक्ट्री लगओनिहार कें देमय पड़तनि। माछक चारा मुख्य रूप सं सरिसों के खली, चावल के भूसी आ छोट-छोट माछक चूर्ण सं तैयार कएल जाइत छैक। नबका स्कीम के तहत तैयार चारा प्लूटेड हएत, यानी तालाब में फेंकला पर जे हरदम हेलैत रहतैक। पटना, रोहतास, मुजफ्फपुर, दरभंगा, कटिहार आ खगडि़या में दू-दू टा फूड मिल स्थापित करबाक योजना छैक। अनुमान छैक जे एहि योजना सं गरीब माछ मारनिहार लोकनिक पलायन रूकत।
अझुके दैनिक जागरण सं इहो खबरि बुझना जाइछ जे राज्य में नीली क्रान्ति के सपना साकार करबा लेल माछ सभ के चारा देबाक वास्ते,गैर-सरकारी क्षेत्रक सहयोग सं 50 फिश फूड मिल खोलल जाएत। हर जिला में एक या दू टा कए फिश फूड मिल । राज्य के मत्स्य निदेशक निशात अहमद के कहब छनि जे व्यावसायिक तरीका सं उत्पादन करबा लेल जरूरी छैक जे चारा देल जाए। अधिकांश राज्य में चारा द कए बड़ पैघ स्तर पर माछक उत्पादन कएल जा रहल छैक। फूड मिल कें स्थापना प्रक्रिया शुरू भ गेल अछि। हर फूड मिल कें स्थापित करबा पर लगभग 12 लाख टका लगतैक जाहि में सं तीन लाख टका कें अनुदान सरकार देत आ नौ लाख टका बतौर ऋण देल जाएत। कुल लागत के दस फीसदी मार्जिन मनी फैक्ट्री लगओनिहार कें देमय पड़तनि। माछक चारा मुख्य रूप सं सरिसों के खली, चावल के भूसी आ छोट-छोट माछक चूर्ण सं तैयार कएल जाइत छैक। नबका स्कीम के तहत तैयार चारा प्लूटेड हएत, यानी तालाब में फेंकला पर जे हरदम हेलैत रहतैक। पटना, रोहतास, मुजफ्फपुर, दरभंगा, कटिहार आ खगडि़या में दू-दू टा फूड मिल स्थापित करबाक योजना छैक। अनुमान छैक जे एहि योजना सं गरीब माछ मारनिहार लोकनिक पलायन रूकत।