Thursday, December 17, 2009
मधुर,सरस,औषधि अछि पान......
भारतीय संस्कृति में पान के सभ तरहें शुभ मानल जाइत छैक। धर्म, संस्कार, अध्यात्म में सेहो पानक उपयोग अनादि काल सं कएल जा रहल छैक। मोन नहिं पड़ैत अछि जे पानक अतिरिक्तो कोनो चीज कें स्वर्गो में अनुपलब्ध बताओल गेल हुअए। दैनिक जागरण,पटना,16 दिसम्बर,2009 केर संस्करण में,तरुणजीत जी के एकटा रिपोर्ट छपल छनि जहि में कहल गेल छैक जे पान के आओरो कतेक काज छैक। एकर इस्तेमाल सं नीरोगी रहल जा सकैछ,से कम्मे लोक के बूझल हेतनि । भोजनोपरांत, मुंहक स्वाद बढएबा लेल पान बड्ड उपयोगी छैक। सूखल पान के चूरिकए (दस ग्राम) दिन में तीन-चारि बेर चिबेला सं पायरिया के शिकायत दूर भ जाइत छैक। एतबे नहिं, चोट लगला पर पान के गर्म क कए चोट लागनल जगह पर बांधि लेला सं किछुए घंटा बाद दर्द पड़ा जाइत छैक। जं सर्दी के कारण रात में खांसी बढ़ि जाए, त पान में आजवाइन द क चिबेबाक चाही । किडनी खराब भेला पर, बिना कोनो मसाला के पानक इस्तेमाल सं लाभ हएत। एहि दौरान, शाकाहारी लोकनि के बेसी मसल्ला आ मेरिचाई सं परहेज करबाक चाही। मांसाहार आ अंडो सं परहेज उचित। पाकि गेल पर अथवा छाला पड़ि गेला पर पानक रस को गर्म क कए लगएला सं आराम बूझि पड़त। J कब्ज में सेहो पान उपयोगी । जुकाम भेला पर पान में लांग मिला क खएला सं जुकाम जल्दी पाकि जाइत छैक । श्र्वास नली सं संबंधित बिमारी भेला पर पानक तेल गर्म क कए छाती पर एक हफ्ता लगएला सं स्थिति सामान्य भ जाएत । पान में पाकल सुपारी खएला सं पानक स्वाद बढ़ि जाइत छैक। ओना तं अपन देश में कतेको तरहक पान भेटैत छैक,मुदा मगही, बनारसी, आ देसी पानक औषधीय गुण प्रसिद्ध छैक। अधिकांश लोग शौकिया पान खाइत छथि आ जे अभ्यस्त छथि हुनको पानक औषधीय गुण देया बूझल नहिं रहैत छनि।