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Tuesday, December 15, 2009

हे शालिग्राम,शापमुक्त होऊ


दैनिक जागरण,15 दिसम्बर,2009 केर पटना संस्करण में प्रकाशित अनिल झाजी के रिपोर्ट पर विश्वास करी,त आस्था के प्रतीक शालिग्राम पत्थर के तस्करी पैघ पैमाना पर भ रहल छैक। मुदा सरकार कान में तेल द क सूतल अछि। शालिग्राम पत्थर कारी रंगक होईत छैक । एकर पूजा हर घर में होइत छैक। कतेको देश में रहनिहार भारतवंशी हिंदू परिवारक लेल ई पत्थर आस्था केर प्रतीक मानल जाईत छैक। पश्चिमी चम्पारण के जिला मुख्यालय बेतिया सं करीब 110 किमी दूर वाल्मीकिनगर स्थित गंडक नदी में ई बहुतायत में पाओल जाइत छैक। पहिले एहि ठाम सं पूजा-पाठक लेल केओ एकाध टा पत्थर ल जाइत छल। मुदा आब एहि पत्थर के तस्करी भ रहल अछि। तस्कर सबहक नेटवर्क नेपालक राजधानी काठमांडू सं ल कए उत्तरप्रदेश के बनारस तक छैक।
एहि नदी के कतहु गंगा, कतहु नारायणी त कतहु काली गंडकी के नाम से जानल जाइत छैक। बिहार आ नेपालक सीमा पर गंडक, सोनभद्र आ ताम्रभद्र के मिलन स्थल पर त्रिवेणी के नाम सं जानल जाइत छैक। जनश्रुति छैक जे जालंधर के पत्‍‌नी विन्दा द्वारा शापग्रस्त भेलाक बाद भगवान एही नदी में शरण लेने छलाह। तें,एही नदी में शालीग्राम पाओल जाइत छैक। स्थानीय लोको सभहक दावा छैक जे एहि नदी के अतिरिक्त शालिग्राम आओर कतहु नहिं पाओल जाइत छैक। गंडक बराज के निचला भाग के फाटक नम्बर 01 से करीब 7-8 किलोमीटर दूर धरि किछु तस्करी के प्रयोजन सं शालिग्राम के तलाश करैत माफिया सब के देखल जा सकैछ। एहि ठाम सं पत्थर नेपाल आ उत्तर प्रदेश में बनारस तक पठाओल जाइत अछि। इएह स्थिति रहल त ऊ दिन दूर नहिं जब शालिग्राम के नदी सं बहराकए म्यूजियम में शरण लेबए पड़तनि।