Monday, December 28, 2009
लहठी-चूड़ी जीवन में आनि रहल लालित्य
ओ सभ आई धरि भनसा-भात, नेना सभ के देखभाल आ सांझ में पतिसेवा में लागल रहैत छलीह। । मुदा आब परिदृश्य फराक छैक। एकर प्रारंभ तखन भेल जखन ओ सभ समूह बनाकए लहठी निर्माण शुरू कएलनि। मुजफ्फरपुर लगर मुशहरी के नरौलीडीह गामक शकुन्तला देवी ढोली देवी के लिअ। हुनका खाली दस्तखत करए अबैत रहनि। विवाहक बाद, घर-गृहस्थी आ खेत-खरिहान में काज करैत दिन बितबैत छलीह। एक दिन चिंता दीदी कहलनि जे किएक नहिं समूह बनाओल जाए। शुरू-शुरू में पुरुषलोकनिक कटाक्ष सहए पड़लैन। मुदा हिम्मत नहिं हारलनि। फेर भेंट भेलनि महिला सामाख्या के पूनम दीदी सं। आ एही ठाम सं शुरू भेल चूड़ी-लहठी निर्माणक प्रशिक्षण। एक माह बाद चूड़ी निर्माणक समय आएल,त परिवार में केओ पूंजी देबा लेल तैयार नहिं। तेहन हालत में, समूह में जमा पूंजी- तीस हजार रुपया सं काम शुरू भेल। आई एहि खाता में पचपन हजार रुपया छैक। पच्चीस महिलालोकनि प्रतिदिन 60 सं 70 सेट लहठी बनबै छथि जहि में प्रतिदिन तीन सए सं सवा तीन सए रुपया केर शुद्ध मुनाफा होईत छैक। विवाह-दानक समय में तं ई आमदनी बढ़ि कए पांच सए सं बेसी भ जाइत छैक। हिनका सभहक देखादेखी आब कतेको समूह बनि चुकल छैक। महिला सामाख्या द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में बाल जगजगी केन्द्र चलाओल जा रहल छैक। एहि केंद्र सभ में पढिकए आब महिलालोकनि स्वयं केन्द्र के संचालन करैत छथि, जहिमें सुतिहारा ग्रामक तारा देवी, छपरा रूपनाथ के अनीता देवी, रेखा देवी आदि प्रमुख छथि। बैकटपुर के दुर्गानी देवी एही केन्द्र में पढ़िकए मध्याह्न भोजन केन्द्रक खाताबही के काज देखैत छथि। नरौली सेन के शाहजहां खातून आ खैखन खातून के कहब छनि जे समूह हुनका सभ कें जीवन जीबाक कला सिखा देने अछि। पारिवारिक जिम्मेदारी त आइयो हुनका सभ पर छन्हि मुदा आब सांझ में ठेहिआएल पतिदेव झझकारबाक स्थिति में नहिं रहि गेल छथिन्ह।