Sunday, December 13, 2009
चलू,चली यात्रीजी गाम
दरभंगा जिला मुख्यालय सं ठीक 32 किलोमीटर दूर छैक तरौनी। यात्रीजी अर्थात् बाबा नागार्जुन केर गाम । माटिक दीप सन टिमटिमाइत एहि गामक चर्चा दूर-दूर धरि होईत छैक। एही गामक माटी में पैघ भ यात्रीजी वंचित सभहक व्यथा लिखि शासन-सत्ता के झकझोरने छलाह। बात बुनियादी विकास के रहल हुअए, सामाजिक विकास के आ कि आर्थिक विकास कें, बाबा निरन्तर लेखनरत रहि सरकार-समाज के ध्यान आकृष्ट करओलनि। दुनिया बदलल, मुदा नहिं बदलल त बस तरौनी। एखनो कतेको घर में कएक दिन धरि चूल्हि नहिं पजरैत छैक। गांव आन-जान कएनिहारकें सड़क बुझू जेना कबदबैत छैक। हाई स्कूल नहिं। बस,एकटा संस्कृत प्राथमि-सह-मध्य विद्यालय, एक प्राथमिक विद्यालय आ एक गोट संस्कृत कालेज । पानि पीबाक लेल लोकसबकें बौआईत देखल जा सकैछ। कार्तिक पूर्णिमा के दिन 5 नवंबर 1998 कए,जहिया बाबा स्वर्गवासी भेलाह, राजकीय सम्मानक संग हुनक अंतिम संस्कार एही गाम में भेल छल। ओहि में सत्ते पक्ष टा नहिं, विपक्ष के राजनेतालोकनि सेहो छलाह । श्राद्धकर्मो दिन जमघट रहल। यात्रीजी के नाम पर पुस्तकालय बनएबाक, तरौनी के प्रखंडक दर्जा देबाक आ समाधिस्थल पर प्रतिमा लगएबाक घोषणा मोन पड़ैछ। तामझाम सं बुझाएल जे किछु हेतैक जरूर। मुदा बीतैत समयक संग यात्री जी कोनो मुद्दा नहिं रहि गेलाह। हं, प्रशासन एक गोट पुस्तकालय भवन अवश्य बनओलक। स्थानीय विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी अपन कोष सं 50 हजार रुपया सेहो देने छलाह जाहि सं उपस्कर आ किछु पोथी कीनल गेल छल। एतबे टा। ने भवन के कोनो देखरेख, आ ने पोथी सबहक व्यवस्था। पुस्तकालय के लेल बेनीपुर एसडीओ के अध्यक्षता में गठित कमेटी के एकहु टा बैठक आई धरि नहिं भ सकल छैक। ग्रामीण लेखनाथ मिश्र कहैत छथिः" विधानसभा चुनावक समय तरौनी आयल सुशील कुमार मोदी प्रतिमा लगएबाक, पुस्तकालय के विकास आ गांव के प्रखंडक दर्जा देबाक गप्प क गेल छलाह, मुदा घोषणा सं आगू नहिं बढ़ि सकलाह।" सिद्दीकीजी सेहो प्रखंडक दर्जा दिएबाक लेल जरूर प्रयासरत छथि, मुदा कामयाबी नहिं भेटल छनि। की,एहि गामक नियति भांपिए क यात्रीजी कहने छलाह-हे मां मिथिले अंतिम प्रणाम?(दैनिक जागरण,पटना में 09 दिसम्बर,2009 कए प्रकाशित दरभंगा सं अमलेन्दु शेखर पाठक केर रिपोर्ट पर आधारित)