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Friday, July 30, 2010

परिछन

दिल्ली के मैथिली-भोजपुरी अकादमी स्थापनाक बादहि सं पत्रिकाक प्रकाशन लेल प्रयासरत छल। एही बरख मार्च मे,अकादमी अपन पत्रिकाक प्रवेशांक केर विमोचन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सं करओने छल मुदा पत्रिका किछु तकनीकी कारणें सार्वजनिक रूप सं उपलब्ध नहि भ सकल छल। एहि माह ई पत्रिका सार्वजनिक कएल गेल अछि। अनुमान छलैक जे पत्रिका मैथिली आ भोजपुरी मे अलग-अलग छपत। परञ्च,पत्रिका मे दुनू भाषा केर सामग्री संयुक्त रूप सं राखल गेल अछि। पत्रिकाक नाम छैक-परिछन। मैथिली आ भोजपुरी दुनू संस्कृति मे बहुप्रयुक्त शब्द। 104 पृष्ठक एहि पत्रिका मे 96 पृष्ठ मे मैथिली सामग्री अछि आ शेष मे भोजपुरी। पत्रिका के मूल्य पचास टका राखल गेल अछि। 175 टका द कए वार्षिक सदस्यता सेहो लेल जा सकैत अछि। इच्छुक लोकनि सचिव,मैथिली-भोजपुरी अकादमी,समुदाय भवन,पदम नगर,किशनगंज,दिल्ली-110007 पर सम्पर्क क सकैत छथि। बहरहाल,एक नज़रि प्रवेशांकक सामग्री परः
1. निबंधः ई आरोप कि आधुनिकत कविता दुर्बोध होइत अछि-रैंडल जैरेल
2. कविताः
क.पूसक ठिठुरैत भोर-रमानन्द रेणु
ख.दुर्लभ प्राणी भेल जाइए मनुख,छाउर की खोरनाठ,आगि बांटक गप करी,लड़ए पड़ै छै,छुच्छे देख रहल छी-महाकान्त रेणु
3. समकालीन रचनाकारक रचनात्मक दायित्व विषयक विमर्शः
क. संघर्ष जतबे तीक्ष्ण प्रतिभा ओतबे तीक्ष्ण-शेफालिका वर्मा
ख. चुनौतीक स्वीकरण-विद्यानाथ झा विदित
ग. रचनाकारक दायित्वबोध रचनाक प्रेरक व संवाहक-नीता झा
घ. मैथिली के चाही बेस्ट सेलर पोथी-प्रदीप विहारी
4. खिस्सा-पिहानीः
क. हलधर-कामना झा
ख. नांगट जमाय-कामिनी कामायनी
ग. वध-अशोक चौधरी
घ. प्रेम-अशोक कुमार पोद्दार
ड.-होलिका दहन-अंजू ठाकुर
च.-वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि
छ. संस्कार-इंदिरा झा
5. रिपोर्ताजः की अछि मिथिला,के छथि मैथिल-मानवर्द्धन कंठ
6. ललित निबंधः ढेंग-गुलेल
7. संस्कृतिः
क.लोक जीवन में जनचरित्री संस्कृति-चन्द्रेश
ख.भाओ-भगैत-गहबर गीतक प्रासंगिकता
8. कलाः
क.मिथिला चित्रकला आ संस्कृति-अरूण कुमार कर्ण
ख. मिथिला लोक चित्रकला-संस्थागत विकासक रूपरेखा-सुरेश चन्द्र मिश्र
9.सिनेमाःमैथिली सिनेमाःसंकट आ संभावना-कुमार राधारमण
10. शब्द-सम्पदाःमैथिली शब्द-संपदाक संक्रमण-काल-पंकज पराशर
11. समीक्षाः मायानंद मिश्रक इतिहास-बोध-गजेन्द्र ठाकुर