1990 सामाजिक उथल-पुथल केर वर्ष छल। सरकारी नौकरी मे आरक्षण लागू कएल गेलाक कारणें,देश भरि मे एकटा बहस शुरु भ गेल । छात्रलोकनिक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन भेल। किछु गोटेक भीतर तत्तेक प्रतिक्रिया भेल जे ओ आत्मदाह क लेलनि।
आई,बीस बरख बादो,मंडल आयोग केर कोटा प्रणाली जारी छैक। आ संगहि जारी छैक दू वर्गक बीच मनोमालिन्य। एक वर्ग ओ थिक जे एहि सब सं लाभान्वित भेल आ दोसर ओ जे आरक्षणक कारणें ओ नहि पाबि सकल जकर हक़दार ओ स्वयं के बूझैत छल। एनडीटीवी इमेजिन चैनल एहि पृष्ठभूमि मे,आई सं अरमानों का बलिदान-आरक्षण नामक धारावाहिक शुरू क रहल अछि। मुदा एहि मे कोनो राजनीतिक बहस नहि छैक। मंडल आयोग कें सिफारिश पर कोनहु एहि प्रकारक प्रयास कें विवादित हएब सुनिश्चित छल। तें,चैनल एहि घटनाक्रम कें प्रेमकथा सं जोड़ने अछि।
ई कहानी छैक सुमेधा कें जकर परिवार मे आरक्षण विरोधी आंदोलन के क्रम मे एक युवक जान द चुकल छैक। धारावाहिक कें दोसर पक्ष छैक आकाश कें,जे आरक्षण केर लाभ ल कए आब ज़िलाधिकारी बनि चुकल अछि। दुनू गोटेक बीच प्रेम पल्लवित होइत छैक मुदा आकाश कें बेर-बेर एहि तथ्य केर सामना करए पड़ैत छैक जे ओकर ओहदा आरक्षण केर परिणाम छैक। धारावाहिक मे कथा केना-केना मोड़ लैत छैक,जनबा लेल देखैत रहू सोम सं शुक्र धरि राति साढ़े आठ बजे-अरमानों का बलिदान-आरक्षण।