मानव शरीर पर कएल जाए वला पारंपरिक गोदना कला कें आब आप पेन्टिंग के रूप में सेहो संकलित कएल जा सकत। कागज पर बनाओल गेल ई आकर्षक रंगीन प्रदर्शनी लखनऊ में कैसरबाग स्थित सनतकदा कें वीथिका में दलित फाउण्डेशन के सहयोग सं आयोजित कएल गेल छैक जे 24 अगस्त धरि चलत। महज पचास रुपय्या में उपलब्ध एहि प्रिंट सभ मे गाछ-वृक्ष, सूरज आ माछक चित्र बनाओल गेल छैक। संस्था के उद्देश्य दलित लोकनिक कला आर कलाकार कें संरक्षण प्रदान करब छैक। 1973-78 के दौरान जर्मन मानव शास्त्री एरिका मोजर मधुबनी स्थित गाँव जितवारपुर गेल छलाह। ओतए ओ दलित समाज में प्रचलित हस्तकला सभ पर एक गोट सिनेमा बनओने छलाह। ओ दुसाध जातिक जनानी सभ कें, आमदनी बढ़एबाक लेल गोदना कला कें कागज पर उतारबाक सलाह देने छलाह। दुसाध जातिक संबंध चौकीदारी के पेशा सं रहल छैक। मानल जाइत छैक जे ओ सभ महाभारत के चरित्र दुशासन के वंशज छथि। ज्ञातव्य जे सबसं पहिने चन्नो देवी गोदना आकृति कें कागज पर बनएबाक प्रारंभ कएने छलीह। हुनके नाम पर एकरा गोदना पेन्टिंग कहल जाए लगलैक। एहि पेंटिंग मे ग्रामीण जीवन आर अनुष्ठान सं जुड़ल गतिविधि, हिन्दू-देवी देवता आर हिन्दू लोकनिक पौराणिक नायक सभहक चित्र बनाओल जाइत छैक(हिंदुस्तान,लखनऊ,12.8.2010 मे प्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित)।